दुखद! जातीय भेदभाव का सामना कर रहे राज्यसभा सांसद इलैयाराजा, पुजारी ने मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश से रोका
ग्रेटर नोएडा/ जी एन न्यूज संवाददाता:
भारत की तरक्की के बीच जातिगत भेदभाव का सामना, राज्यसभा सांसद इलैयाराजा को गर्भगृह में प्रवेश से रोका
भारत लगातार प्रगति के नए आयाम छू रहा है। चांद तक पहुंचने और दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के बाद भी समाज में जातिगत भेदभाव की घटनाएं थम नहीं रही हैं। इसका ताजा उदाहरण राज्यसभा सांसद और मशहूर संगीतकार इलैयाराजा के साथ हुआ है।
राज्यसभा सांसद इलैयाराजा को किया गया गर्भगृह में प्रवेश से वंचित
तमिलनाडु के श्रीविल्लिपुथुर के आंदल मंदिर में पुजारी ने इलैयाराजा को गर्भगृह में जाने से रोक दिया। इलैयाराजा का जन्म 3 जून 1943 को तमिलनाडु के थेनि जिले में एक दलित परिवार में हुआ था। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध संगीतकार होने के बावजूद उनके साथ इस तरह का व्यवहार किया गया, जिसने जातिगत भेदभाव को लेकर नई बहस छेड़ दी है।
क्या है पूरा मामला?
इलैयाराजा, जो राज्यसभा सांसद भी हैं, मंदिर में दर्शन के लिए गए थे। मंदिर के पुजारी ने उन्हें गर्भगृह में प्रवेश करने से मना कर दिया। इसके बाद उन्हें मंदिर से बाहर कर दिया गया। इस घटना ने जातिगत भेदभाव की समस्या को एक बार फिर उजागर कर दिया है।
संगीत जगत में अमूल्य योगदान
इलैयाराजा दक्षिण भारतीय फिल्मों के सबसे प्रसिद्ध संगीतकारों में से एक हैं। उन्होंने 7000 से अधिक गीतों की रचना की है और 20,000 से अधिक कॉन्सर्ट में प्रस्तुति दी है। उन्हें "इसैज्ञानी" (संगीत का ज्ञानी) के नाम से भी जाना जाता है।
सम्मानों की फेहरिस्त
इलैयाराजा को शताब्दी पुरस्कार सहित कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिल चुके हैं। उन्हें पांच बार नेशनल अवार्ड से नवाजा गया है। भारत सरकार ने 2010 में उन्हें पद्मभूषण और 2018 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया। 2012 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार दिया गया। साथ ही, उन्होंने लंदन के ट्रिनिटी कॉलेज से क्लासिकल गिटार वादन में स्वर्ण पदक भी हासिल किया है।
जातिगत भेदभाव का दंश और सवाल
इलैयाराजा के साथ हुई इस घटना ने एक बार फिर जातीय असमानता और भेदभाव पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ऐसे समय में जब भारत प्रगति कर रहा है, क्या समाज में समानता के सिद्धांतों को अपनाने का समय नहीं आ गया है?