सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए स्क्रीनिंग और वैक्सीन है कारगर। 9 से 26 वर्ष की उम्र के लड़के और लड़कियों को वैक्सीनेशन जरूर करवाना चाहिए

ग्रेटर नोएडा/जी एन न्यूज भारत भूषण संवाददाता:

22 जनवरी 2025, जनवरी का महीना सर्वाइकल कैंसर जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है, जो इस कैंसर प्रारंभिक पहचान और प्रतिरोधन के महत्व पर प्रकाश डालने का एक अवसर है। सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में होने वाले सबसे आम कैंसर में से एक है, लेकिन इसे शुरुआती चरण में इसे पहचान पाना मुश्किल होता है। यही कारण है कि सर्वाइकल कैंसर की वजह से कई महिलाएं जान गंवा देती है। सर्वाइकल कैंसर का मुख्य कारण पप स्मीयर और एचपीवी स्क्रीनिंग की कमी है। महिलाओं में जागरूकता के आभाव के चलते भारत में केवल 1% महिलाएं ही इस स्क्रीनिंग को नियमित रूप से करवाती हैं। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए फोर्टिस , ग्रेटर नोएडा ने सर्वाइकल कैंसर जागरूकता माह की शुरुआत की है ताकि महिलाओं को इसके बारे अधिक से अधिक जानकारी दी जा सके।
फोर्टिस , ग्रेटर नोएडा में क्लिनिशियन-सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग की डॉ. प्रिया बंसल बताती हैं, "अक्सर महिलाओं को इस बीमारी से संबंधित सही जानकारी नहीं होती है। बहुत कम महिलाओं को पता है कि सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिए एक सुरक्षित और प्रभावी वैक्सीन उपलब्ध है। इसके अलावा, 25 से 65 वर्ष की उम्र की महिलाओं के लिए नियमित स्क्रीनिंग बहुत जरूरी है।"
सर्वाइकल कैंसर से जुड़े कई मिथक आज भी समाज में फैले हुए हैं। आम धारणा यह है कि यह केवल वृद्ध महिलाओं को होता है, जबकि सच्चाई यह है कि यह 35 वर्ष की उम्र में भी हो सकता है। एक और मिथक यह है कि यह केवल निम्न सामाजिक-आर्थिक वर्ग की महिलाओं में होता है। वास्तविकता यह है कि यह समस्या समाज के हर वर्ग को प्रभावित कर सकती है।
फोर्टिस , ग्रेटर नोएडा में विशेषज्ञों का मानना है कि इस बीमारी से बचाव के लिए शुरुआती कदम उठाना बेहद जरूरी है। 9 से 26 वर्ष की उम्र के लड़के और लड़कियों को वैक्सीनेशन जरूर करवानी चाहिए। इसके साथ ही, 25 से 65 वर्ष की महिलाओं को नियमित पप स्मीयर टेस्ट कराना चाहिए। एचपीवी संक्रमण को रोकने के लिए बैरियर गर्भनिरोधक (जैसे कंडोम) का उपयोग करना और यौन संबंधों के लिए पार्टनर्स की संख्या सीमित रखना भी फायदेमंद है। धूम्रपान छोड़ना, शराब का सेवन कम करना और पौष्टिक आहार लेना भी महत्वपूर्ण है।
डॉ. बंसल बताती हैं कि जागरूकता और समय पर स्क्रीनिंग से सर्वाइकल कैंसर को रोका जा सकता है। यह सिर्फ एक बीमारी नहीं है, बल्कि महिलाओं और उनके परिवारों की खुशियों से जुड़ा गंभीर मुद्दा है।

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