लालू यादव के प्रिय सहयोगी रहे, फिर IPS सेवा को छोड़कर रतन टाटा की कंपनी में शामिल हो गए। इस जेंटलमैन उद्योगपति ने उन पर जो भरोसा जताया, वह कुछ ऐसा था।

ग्रेटर नोएडा ( जीएन न्यूज़, संवाददाता )  

भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में किसी व्यक्ति के चयन से पूरा परिवार खुशी से झूम उठता है। यह देश की तीन सबसे प्रतिष्ठित सेवाओं, आईएएस, आईपीएस, और आईएफएस में से एक मानी जाती है। इस सेवा के अधिकारियों की एक खास पहचान होती है, जो समाज और परिवार में अलग सम्मान दिलाती है। बिहार-यूपी जैसे राज्यों में, इस सेवा में चयनित होने के लिए लोग किसी भी हद तक जाने को तैयार रहते हैं। लेकिन, इन्हीं में से एक ऐसा अधिकारी था जिसने इस सम्मानित सेवा को छोड़कर एक निजी कंपनी में नौकरी कर ली, और वह भी सिर्फ इसलिए क्योंकि रतन टाटा ने उस पर भरोसा जताया था।

यह कहानी रतन टाटा के उस भरोसे की है, जो पूर्व आईपीएस अधिकारी डॉ. अजॉय कुमार से जुड़ी है। वह 1986 बैच के बिहार कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं। आईपीएस बनने से पहले, उन्होंने पुड्डुचेरी के जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस से एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त की, जो दक्षिण भारत का एक प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज है और इसे एम्स कहा जाता है। इससे उनकी शिक्षा का स्तर स्पष्ट होता है।

आईपीएस की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद, अजॉय कुमार की पहली तैनाती पटना के निकट दानापुर में हुई। बाद में, वे पटना में सिटी एसपी के पद पर भी रहे। उनकी छवि एक सख्त अधिकारी की थी। जब वे बिहार में तैनात थे, उस समय राज्य में लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व में जनता दल की सरकार थी, और जमशेदपुर में माफियाओं का आतंक फैला हुआ था।

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