कोलकाता बलात्कार मामला: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के दूसरे पत्र पर मोदी सरकार की सख्त प्रतिक्रिया, 6 बिंदुओं से पेश की सच्चाई

कोलकाता डॉक्टर बलात्कार-मृत्यु मामला: सियासत का दौर जारी, बीजेपी और टीएमसी के बीच जुबानी जंग

कोलकाता के केजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के मामले ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के बीच लगातार तीखी जुबानी जंग जारी है, और दोनों दल एक-दूसरे के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन भी कर रहे हैं।

बीजेपी के बंद के बाद टीएमसी ने सड़कों पर उतरने का किया ऐलान

बीजेपी के बंद के बाद, टीएमसी ने अब सड़कों पर उतरने का निर्णय लिया है। टीएमसी ने केंद्र सरकार से मांग की है कि ट्रेनी डॉक्टर बलात्कार मामले में जल्द न्याय दिलाया जाए और इस अपराध के लिए फांसी की सजा देने का कानून पारित किया जाए। इस मांग को लेकर, टीएमसी ने पूरे पश्चिम बंगाल में आज (31 अगस्त 2024) विरोध-प्रदर्शन करने का ऐलान किया है।

ममता बनर्जी ने 1 सितंबर को भी प्रदर्शन की घोषणा की

कोलकाता की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दो दिन पहले घोषणा की थी कि 30 अगस्त को टीएमसी के समर्थक छात्र प्रदर्शन करेंगे, जबकि 31 अगस्त को पार्टी के कार्यकर्ता और नेता हर ब्लॉक में विरोध प्रदर्शन करेंगे। इसके अतिरिक्त, 1 सितंबर 2024 (रविवार) को टीएमसी का महिला मोर्चा भी प्रदर्शन करेगा। ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार से मांग की है कि रेप के खिलाफ सख्त कानून बनाए जाएं। उन्होंने यह भी कहा कि वह विधानसभा में ऐसा कानून लाएंगी जिससे रेप पीड़िता को 10 दिन के अंदर न्याय मिले, और यदि राजभवन ने बिल को पारित नहीं किया तो वहां भी प्रदर्शन होगा।

केंद्रीय मंत्री ने ममता बनर्जी के पत्र का दिया जवाब

इस बीच, केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के दूसरे पत्र का जवाब दिया है, जिसमें बलात्कार और हत्या जैसे अपराधों पर सख्त कानून और कड़ी सजा की मांग की गई थी। अन्नपूर्णा देवी ने अपने जवाब में कहा, "पश्चिम बंगाल में फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (एफटीएससी) और विशेष पॉक्सो कोर्ट की स्थिति के बारे में आपके पत्र में दी गई जानकारी पर, मैं यह उल्लेख करना चाहूंगी कि कलकत्ता उच्च न्यायालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, पश्चिम बंगाल में 88 फास्ट ट्रैक कोर्ट (एफटीसी) स्थापित किए गए हैं, जो केंद्र सरकार की योजना के तहत आने वाले फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट के समान नहीं हैं..."

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