ख्वाजा फारूक रेंजुशाह ने शारदा विश्वविद्यालय में कश्मीर की आध्यात्मिक विरासत पर प्रकाश डाला

ग्रेनो/जीएन न्यूज भारत संवाददाता:
शारदा विश्वविद्यालय के भारतीय संस्कृति वैश्विक केंद्र ने भारतीय संस्कृति और प्राचीन ज्ञान पर विचार के अंतर्गत डॉ ख्वाजा फारूक रेंज़ुशाह ने कश्मीर, ज्ञान, पुनर्जागरण और शारदा' शीर्षक से व्याख्यान दिया। वह एसएमसी के पूर्व आयुक्त, उपायुक्त, स्थानीय निकाय निदेशक, अतिरिक्त आयुक्त कश्मीर, श्रीनगर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष हैं। इसका उद्देश्य सांस्कृतिक जागरूकता और प्रशंसा को बढ़ावा देना: यह जानना कि कैसे कश्मीर ऐतिहासिक रूप से दर्शन, साहित्य, अध्यात्म और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के एक जीवंत केंद्र के रूप में कार्य करता रहा है, जिसने भारतीय सभ्यता के व्यापक आख्यान को आकार दिया है।
विश्वविद्यालय में व्याख्यान के दौरान डॉ ख्वाजा फारूक रेंज़ुशाह ने कहा कि कश्मीर को अध्यात्म, एकता और ज्ञान की भूमि बताया और कहा कि पूरा देश कश्मीर पर गर्व करता है। उन्होंने आदिल शाह की बलिदान भावना की सराहना की, जिन्होंने आतंकवादियों पर प्रहार करते हुए हिंदुओं की जान बचाई। किया। उन्होंने कहा कि कश्मीर की साझा शारदा संस्कृति भारत की प्राचीन आध्यात्मिक परंपरा की मिसाल है और शारदा यहाँ की पहली आध्यात्मिक विश्वविद्यालय रही है। छात्रों को अपनी सभ्यतागत जड़ों को अपनाने और एक समग्र विश्व दृष्टि विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करना। शारदा पीठ को भारत की बौद्धिक क्षमता और आध्यात्मिक गहराई के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत करना - एक ऐसा केंद्र जहां विभिन्न क्षेत्रों के ज्ञान के साधक एकत्रित हुए और भारतीय ज्ञान प्रणालियों के विकास में योगदान दिया।
 

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