क्या दिल्ली ब्लास्ट खालिस्तानियों ने पाकिस्तान से टेलीग्राम के माध्यम से किया? आतंकियों की गुप्त चैट की जांच क्यों नहीं कर पा रही हैं एजेंसियां?

 

ग्रेटर नोएडा ( जीएन न्यूज़, संवाददाता) ।
नई दिल्ली: पिछले साल दिसंबर के अंत में अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित सरसोटा काउंटी में एक मजदूर ने अपने फोन से एक संदेश भेजा। जैसे ही अमेरिका की संघीय जांच एजेंसी (FBI) को इस संदेश का पता चला, उनके होश उड़े गए। उस मजदूर, अलेक्जेंडर लाइटनर, ने सामूहिक हत्या करने की योजना बनाई थी। इसके लिए उसने नई पीढ़ी के आतंकियों से एक कोड वर्ड में बात की, जिन्हें वह "एक्सेलेरेशनिस्ट" कहता है। इस कोड वर्ड में लाइटनर ने अपनी इच्छा व्यक्त की कि वह एक ऐसा मार्गदर्शक बने, जिसे उसके अनुयायी खतरनाक आतंकी हमलों को अंजाम देने के लिए उपयोग करें, जिनमें अधिकतम लोग मारे जाएं। लाइटनर जिस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर रहा था, वह था टेलीग्राम। अंततः उसे गिरफ्तार कर लिया गया, जिससे अमेरिका को एक संभावित बड़े हमले से बचा लिया गया।

हाल ही में दिल्ली ब्लास्ट मामले में भी टेलीग्राम के उपयोग का मामला प्रकाश में आया है। आइए जानते हैं, क्यों टेलीग्राम आतंकियों के लिए नया आश्रय स्थल बनता जा रहा है? कौन सी विशेषताएं इसे आतंकियों के लिए अनुकूल बनाती हैं? और किन संभावित खतरों पर ध्यान देने की आवश्यकता है?

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