बीजेपी ने दी थी सीएम की जिम्मेदारी, अब महायुति में क्यों घट रहा है शिंदे का कद?

ग्रेटर नोएडा ( जीएन न्यूज़, संवाददाता ) ।

महाराष्ट्र में महायुति की प्रचंड जीत के बाद सत्ता के बंटवारे को लेकर खींचतान जारी है। बीजेपी, जिसने 132 सीटें जीतकर मजबूत स्थिति में है, बेहद सावधानी से आगे बढ़ रही है। दूसरी ओर, सीएम एकनाथ शिंदे शिवसेना के लिए नई सरकार में अधिक प्रभावी स्थिति की मांग कर रहे हैं। यही कारण है कि महाजीत के बावजूद महायुति में जश्न के बजाय रस्साकशी जारी है। नौ दिनों के राजनीतिक घटनाक्रम से यह स्पष्ट हो गया है कि अगला मुख्यमंत्री बीजेपी का होगा। हालांकि, मुख्यमंत्री कौन बनेगा, इसका निर्णय बुधवार को विधायक दल की बैठक में होगा। ऐसे में सवाल उठता है कि जून 2022 में जिन्हें सीएम की कुर्सी दी गई थी, अब उन्हें अपनी मांगों के लिए दबाव की राजनीति क्यों करनी पड़ रही है? शिवसेना नेता दीपक केसरकर ने भी कहा है कि एकनाथ शिंदे की नेतृत्व क्षमता को मान्यता मिलनी चाहिए।

तब क्यों बनाया गया था सीएम?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राजनीति में फैसले समय और जरूरत के हिसाब से लिए जाते हैं। जून 2022 में एकनाथ शिंदे की भूमिका अहम थी। बीजेपी ने उद्धव ठाकरे की सरकार गिराने के लिए शिंदे को सीएम बनाया था। लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है। 2024 के चुनावों में बीजेपी की स्थिति मजबूत है, और महायुति में अजित पवार के रूप में एक और सहयोगी दल है जो बिना शर्त समर्थन दे रहा है।

बार्गेनिंग पावर कम क्यों हुई?

विशेषज्ञों का कहना है कि अजित पवार के देवेंद्र फडणवीस के साथ खड़े होने और बीजेपी के हर फैसले को समर्थन देने से शिंदे की स्थिति कमजोर हो गई है। उनकी मोलभाव करने की क्षमता अब पहले जैसी नहीं रही। इसी कारण शिवसेना को अपनी मांगों को मनवाने के लिए वही तरीका अपनाना पड़ रहा है, जो कभी उद्धव ठाकरे या पुरानी शिवसेना अपनाया करती थी।

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