• DECEMBER 9, 2024
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ग्रेटर नोएडा

आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु को क्यों करानी पड़ी अचानक ब्रेन सर्जरी?

आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव को दिमाग में खून के थक्के जम जाने की वजह से ब्रेन सर्जरी करानी पड़ी. दिल्ली के अपोलो अस्पताल में 17 मार्च रविवार को उनका ऑपरेशन हुआ जिसके बाद से उनकी हालत में लगातार सुधार हो रहा है. 

ईशा फाउंडेशन ने एक ब्लॉग में बताया है कि सद्गुरु जग्गी वासुदेव को पिछले चार हफ्तों से बहुत तेज सिरदर्द हो रहा था. ये दर्द इतना तेज था कि कोई और शायद सहन नहीं कर पाता, लेकिन सद्गुरु महाराज ने अपने सारे काम जारी रखे. उन्होंने अपने रोजमर्रा के कार्यक्रम रद्द नहीं किए. यहां तक कि 8 मार्च 2024 को रातभर चलने वाले महाशिवरात्रि के कार्यक्रम में भी शामिल हुए.

दिल्ली पहुंचने पर 15 मार्च की दोपहर तक सद्गुरु जग्गी  का सिरदर्द बहुत ज्यादा बढ़ गया. इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल में न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर विनित सूरी की सलाह पर उसी दिन शाम 4:30 बजे सद्गुरु का MRI स्कैन किया गया. जांच में पता चला कि उनके दिमाग में बहुत ज्यादा खून के थक्के जम गए थे. इसी वजह से उन्हें तुरंत ब्रेन का ऑपरेशन करना पड़ा.

पहले समझिए दिमाग में खून जमने (ब्रेन ब्लीड) का मतलब
दिमाग में खून के थक्के जमना एक तरह का ब्रेन स्ट्रोक होता है. ये तब होता है जब दिमाग को खून की आपूर्ति में अचानक रुकावट आ जाती है. दिमाग को ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है. दिमाग तक ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए खून की छोटी-छोटी नलियां होती है. जब दिमाग की किसी एक नली में रिसाव होने लगता है या ब्लॉक हो जाती है तो दिमाग के अंदर खून के थक्के जमने लग जाते हैं. ये जमा हुआ खून दिमाग पर दबाव बनाता है. अगर जल्द इलाज न किया जाए तो ये जानलेवा भी हो सकता है. जल्द से जल्द ऑपरेशन से ही इसका इलाज संभव होता है.

क्लीवलैंड क्लिनिक (Cleveland Clinic) के अनुसार, दिमाग में ब्रेन ब्लीड एक गंभीर बीमारी है जो अक्सर दो कारणों से हो सकती है. एक गिर जाने से सिर पर किसी तरह की चोट लग जाती है तो दिमाग में खून की नली फट सकती है और वहां खून जम सकता है. दूसरा अगर किसी का ब्लड प्रेशर बहुत ज्यादा रहता है और दवाइयां भी इसे कंट्रोल नहीं कर पा रहीं, तो दिमाग की खून की नली कमजोर होकर फट सकती है.

कितने तरह का होता है ब्रेन ब्लीड
एक मस्तिष्क कई अलग-अलग हिस्सों से मिलकर बना होता है, इसलिए डॉक्टरों के लिए सिर्फ ब्रेन ब्लीड कहना काफी नहीं होता. मस्तिष्क में खून कहां जमा हुआ है, ये जानना इलाज के लिए बहुत जरूरी होता है. ब्रेन ब्लीड दो जगह हो सकता है. एक दिमाग की बाहरी परत में खून जम जाता है. यानी कि खोपड़ी के अंदर मगर दिमाग के बाहर. दूसरा दिमाग के अंदर किसी खास हिस्से में खून जम सकता है.

क्या हैं ब्रेन ब्लीड के लक्षण
ब्रेन ब्लीड के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि खून कहां जमा है, लेकिन कुछ आम लक्षण हो सकते हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. जैसे- शरीर एक तरफ से सुन्न हो जाना, हाथ पैर या चेहरे में अचानक झुनझुनाहट, अचानक बहुत तेज सिरदर्द होना, लगातार जी मिचलाना और उल्टी आना, उलझन घबराहट या बेहोशी का महसूस होना, अचानक चक्कर आना, बहुत ज्यादा थकान महसूस होना या बार-बार नींद आना.

इसके अलावा खाना या पानी निगलने में दिक्कत होना, आंखों की रोशनी कम होना या जाना, गर्दन में अकड़न, तेज रोशनी बर्दाश्त न हो पाना, सीधे खड़े होने या चलने में परेशानी होना, सांस लेने में तकलीफ होना या दिल की धड़कन बहुत धीमी या बहुत तेज होना, शरीर में अचानक झटके आना, बेहोश हो जाना और लंबे समय तक होश न आना जैसे लक्षण भी ब्रेन ब्लीड की गंभीरता को दर्शाते हैं. 

ब्रेन ब्लीड का सबसे पहला लक्षण
दिमाग में खून जमने का सबसे पहला लक्षण ज्यादातर लोगों में अचानक और बहुत तेज सिरदर्द होता है. यह सिरदर्द इतना तेज होता है कि लोग इसे अपनी जिंदगी का सबसे तेज सिरदर्द बताते हैं. 

किसे होता है सबसे ज्यादा ब्रेन ब्लीड का खतरा
दिमाग में खून जमना (ब्रेन ब्लीड) किसी को भी, किसी भी उम्र में हो सकता है. नवजात शिशुओं से लेकर बड़ों तक सभी को ये बीमारी हो सकती है, लेकिन 65 साल से ऊपर के लोगों में ये ज्यादा आम है. ब्रेन ब्लीड का खतरा उन्हें ज्यादा हो सकता है, अगर ये परेशानियां हैं: लंबे समय से हाई ब्लड प्रेशर रहना, ज्यादा शराब या नशीली दवाओं का सेवन दिमाग को कमजोर कर सकता है.

इसके अलावा धूम्रपान खून की नलियों को नुकसान पहुंचाता है. गर्भावस्था में हाई ब्लड प्रेशर या प्रसव के बाद शरीर में बदलावों के कारण भी दिमाग में खून जम सकता है. वहीं कुछ बीमारियों में खून की नलियां कमजोर हो जाती हैं जिससे फटने का खतरा रहता है.

ब्रेन ब्लीड का पता कैसे चलता है?
ब्रेन ब्लीड का पता लगाने के लिए डॉक्टर कई तरह के टेस्ट करते हैं. सबसे पहले वह नर्वस सिस्टम की जांच (न्यूरोलॉजिकल टेस्ट) करते हैं. अगर डॉक्टर को लगता है कि ब्रेन ब्लीड की परेशानी हो सकती है, तो फिर कुछ दूसरे टेस्ट कराए जाते हैं. सीटी स्कैन, एमआरआई स्कैन, एमआर एंजियोग्राम टेस्ट की मदद से डॉक्टर को दिमाग में खून जमने की जगह, कितना खून जमा हुआ है और कभी-कभी इसकी वजह का भी पता चल सकता है.

सीटी स्कैन एक तरह का एक्स-रे टेस्ट होता है, जिसमें कंप्यूटर की मदद से दिमाग की तस्वीरें ली जाती हैं. सीटी स्कैन से दिमाग में खून का थक्का दिखाई दे सकता है. जबकि एमआरआई स्कैन एक तरह का इमेजिंग टेस्ट होता है, लेकिन इसमें मैग्नेट और रेडियो तरंगों की मदद से दिमाग की ज्यादा सटीक तस्वीरें ली जा सकती हैं. एमआरआई स्कैन से दिमाग में सूजन या खून के थक्के को बेहतर तरीके से देखा जा सकता है.

वहीं एमआर एंजियोग्राम भी एक खास तरह का एमआरआई स्कैन होता है, जिसकी मदद से दिमाग की खून की नलियों को देखा जा सकता है. इससे डॉक्टर को ये पता चल जाता है कि दिमाग की किस नली में खून का थक्का जमा हुआ है.