• DECEMBER 9, 2024
  • Lorem ipsum dolor sit
post
ग्रेटर नोएडा

ब्रेन स्ट्रोक और हार्ट अटैक की तरह होता है लेग अटैक

ब्रेन अटैक (Brain Attack) और हार्ट अटैक (Heart Attack) दोनों से काफी ज्यादा खतरनाक है लेग अटैक. 'लेग अटैक' को लिम्ब इस्कीमिया (सीएलआई) के नाम से भी जाना जाता है. इसके कई मामले भारत में आ रहे हैं. ब्रेन अटैक की तुलना में लेग अटैक काफी ज्यादा खतरनाक है. यह समस्या ज्यादातर उन लोगों को होती है जिन्हें डायबिटीज की शिकायत होती है. 

डायबिटीज के 20 प्रतिशत मरीज इसके चपेट में आते हैं

दैनिक जागरण में छपी रिपोर्ट के मुताबिक डायबिटीज के 20 प्रतिशत मरीज क्रिटिकल लिम्ब इस्कीमिया यानि लेग अटैक के चपेट में आते हैं. यह इतनी खतरनाक बीमारी है जिसमें मरीज को अपने अंग तक कटवाने पड़ते हैं. वहीं अगर इंफेक्शन ज्यादा फैल जाए तो उस स्थिति में मरीजों को अपनी जान तक गंवानी पड़ सकती है. 

क्या है इसके पीछे का कारण

न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसन में पब्लिश रिसर्च के मुताबिक डायबिटीज के ऐसे मरीज जिनके पैर काटने पड़ते हैं उनमें से 43 प्रतिशत ऐसे हैं जिनकी मौत ऑपरेशन के 5 साल के अंदर हो जाती है. डायबिटीज के मरीज को अक्सर यह सलाह दी जाती है कि मरीज अपने चेहरे से ज्यादा पैरों की देखभाल करें. ऐसा इसलिए कहा जाता है कि क्योंकि पैरों की नसों में ब्लड सर्कुलेशन ठीक से हो नहीं पाता है जिसके इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है. 

डायबिटीज मरीज को हर साल करवाना चाहिए ये टेस्ट

डायबिटीज, हाई बीपी, हाई कोलेस्ट्रॉल एवं धूम्रपान पेरिफेरल आर्टरी बीमारी के कारण ऐसी बीमारियों का जोखिम बढ़ता है. इस बीमारी के शुरुआती लक्षण नहीं होते हैं. डॉक्टर कहते हैं कि डायबिटीज के मरीज को एक काम जो हर साल करना चाहिए वह यह कि उन्हें अपने पैरों का अल्ट्रासाउंड डॉप्लर हर साल करवाना चाहिए. ताकि इसे वक्त रहते ठीक किया जा सके. 

सीएलआइ की बीमारी में वास्कुलर सर्जन या वास्कुलर स्पैशिलिस्ट से इलाज करवाना चाहिए. यह एक गंभीर स्थिति है. इसमें ब्लड सर्कुलेशन खराब होने पर तुरंत इलाज करवाना पड़ता है. सीएलआई के मरीजों को नसों का इलाज करवाना चाहिए.