पीएंडजी शिक्षा के दो दशक: पी एंड जी शिक्षा ने “ट्वेंटी टेल्स ऑफ ट्रायम्फ” का किया अनावरण और बच्चो में लर्निंग गैप को मिटाने के लिए #EraseTheLearningGap पहल की शुरुआत की

दिल्ली/ जीएन न्यूज भारत भूषण संवाददाता:अभिनेत्री सोहा अली खान,कल्कि कोचलिन और बाल मनोवैज्ञानिक डॉ.वरखा चुलानी ने विशेष चर्चा द्वारा बच्चों की शिक्षण में तत्काल हस्तक्षेप कर लर्निंग गैप को समझने और मिटाने की महत्व को उजागर किया,2005 में लॉन्च होने के बाद से, पीएंडजी शिक्षा विभिन्न शैक्षणिक प्रोग्राम्स के द्वारा देशभर में 50 लाख से अधिक बच्चों को प्रभावित कर रहा है

पीएंडजी इंडिया का प्रमुख सीएसआर कार्यक्रम 'पीएंडजी शिक्षा' इस वर्ष एक महत्वपूर्ण पड़ाव पर है और एक प्रमुख उपलब्धि का उत्सव मना रहा है - शिक्षा के माध्यम से बच्चो के जीवन में बदलाव के 20 वर्ष।पिछले दो दशकों में, यह कार्यक्रम देश भर में वंचित समुदायों में शिक्षा की पहुंच और शिक्षा में सुधार लाकर 50 लाख से अधिक बच्चों के जीवन पर सकारात्मक रुप से प्रभावित कर रहा हैं।इस यात्रा को यादगार बनाने के लिए, पीएंडजी ने “20 टेल्स ऑफ ट्रायम्फ” नामक एक विशेष कॉफी टेबल बुक का अनावरण किया है, जिसमें परिवर्तन और संभावनाओं की प्रेरक कहानियां शामिल हैं - यह इस बात की सशक्त याद दिलाती है कि कि जब हर बच्चे को उभरने का अवसर मिलता है, तो शिक्षा कैसे बदलाव ला सकती है।मौजूद कार्यक्रमों के साथ-साथ, पीएंडजी शिक्षा ने लर्निंग गैप्स पर बड़े पैमाने पर जागरूकता फैलाने का भी कार्य किया है। इस वर्ष का अभियान #EraseTheLearningGap बच्चों को दिए गए नकारात्मक लेबल्स के दुष्प्रभावों पर गहराई से ध्यान देता है।जब कोई बच्चा कक्षा में पीछे रह जाता है, तो उसे अक्सर 'कमज़ोर', 'बुद्धू', या 'कच्चा नींबू' जैसे अनुचित लेबल्स दिए जाते हैं, इससे एक स्वतः पूरी होने वाली भविष्यवाणी में बदल सकती है जो आत्मविश्वास को कम करती है और अपेक्षाओं में कमी लाती है और लर्निंग गैप को और बढ़ाती है।इस फिल्म में बिकास की कहानी दिखाई गई है, जो कई अन्य लोगों की तरह संघर्ष करता है क्योंकि वह कई अन्य बच्चों की तरह इन नकारात्मक लेबल्स को समाहित लेता है, जिससे उसका आत्म-सम्मान प्रभावित होता है।केवल 28 प्रतिशत बालिग़ ही लर्निंग गैप्स को पूरी तरह समझते हैं, इसलिए समय पर सहायता का अभाव रहता है। यह अभियान हस्तक्षेप की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करता है, यह दिखाते हुए कि सही सहारा और माता-पिता, शिक्षकों और साथियों से मिले प्रोत्साहन से बच्चे इन चुनौतियों को पार कर सकते हैं।जैसा कि बिकास की यात्रा दिखाती है, जब वह सफल होता है, तो पूरा समुदाय उत्सव मनाता है, यह दर्शाता है कि हर बच्चे की जीत, हम सभी की जीत है। समय पर सहायता मिलने पर हर बच्चा अपनी गति के अनुसार सीख सकता है, फिर से आत्म-विश्वास पा सकता है, और अंततः #EraseTheLearningGap को साकार कर सकता है।

फिल्म यहां देखें – https://www.youtube.com/watch?v=ooRwqCDmSUE

दिल्ली में, दो दशकों से पीएंडजी शिक्षा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में मौजूद महत्वपूर्ण बाधाओं को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध रहा है। यह कार्यक्रम 2005 में शुरू हुआ था, उस समय जब कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) से जुड़े कानून भी अस्तित्व में नहीं आए थे। ज़मीनी स्तर पर आवश्यकताओं का मूल्यांकन करते हुए, इस कार्यक्रम की शुरुआत स्कूल के बुनियादी ढांचे के निर्माण से हुई। सामाजिक-आर्थिक प्रगति के साथ, यह कार्यक्रम एक 360-डिग्री समग्र पहल के रूप में विकसित हुआ, जो शैक्षिक ढांचे को सुदृढ़ करने, सीखने के परिणामों में सुधार लाने और वंचित समुदायों को शिक्षा के माध्यम से सशक्त करने पर केंद्रित है।

पीएंडजी शिक्षा ने लर्निंग गैप को उजागर करने के लिए एक प्रभावशाली पैनल के माध्यम से इस राष्ट्रव्यापी पहल की शुरुआत की, जिसमें सिनेमा, मनोविज्ञान और शिक्षा जगत से विभिन्न लोगों ने हिस्सा लिया। लेखिका और पूर्व पत्रकार प्रियंका खन्ना द्वारा संचालित इस पैनल में शामिल थे: अभिनेत्री और लेखिका सोहा अली खान, अभिनेत्री कल्कि कोचलिन, नैदानिक मनोवैज्ञानिक व मनोचिकित्सक डॉ. वरखा चुलानी और पीएंडजी इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट – ब्रांड ऑपरेशन और ग्रूमिंग के प्रमुख अभिषेक देसाई।पैनल में चर्चा की गई कि कैसे लर्निंग गैप्स अक्सर अनदेखे या गलत समझे जाते हैं- जो आत्मविश्वास की कमी, कम भागीदारी या “धीमा” या “असभ्य” जैसे लेबल्स के रूप में सामने आती हैं। ये लर्निंग गैप्स बच्चों की एक मौन पुकार होती हैं। व्यक्तिगत कहानियों और विशेषज्ञ दृष्टिकोणों के माध्यम से बातचीत ने समय पर पहचान, सही सहायता और ऐसे सुरक्षित वातावरण के महत्व को उजागर किया जहाँ बच्चे अपनी गति से सीख सकें। कार्यक्रम के दौरान दिखाई गई कैंपेन फिल्म इस बात की याद दिलाने वाली रही कि सही सहारे से कोई भी #EraseTheLearningGap कर सकता है।इस पहल के बारे में बात करते हुए, पीएंडजी इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट – ब्रांड ऑपरेशन और कैटेगरी लीडर – ग्रूमिंग, अभिषेक देसाई ने कहा, “हम गर्व से पीएंडजी शिक्षा के 20 साल पूरे होने का उत्सव मना रहे हैं – यह एक ऐसी यात्रा रही है जो यह सुनिश्चित करने के लिए समर्पित है कि हर बच्चे को ऐसी शिक्षा मिले जो उसे ऊपर उठाए, न कि सीमित करे।पिछले दो दशकों में, पीएंडजी शिक्षा ने लर्निंग आउटकम्स को सुधारने की ओर अपना ध्यान विकसित और केंद्रित किया हैंएएसईआर 2024 के अनुसार, कक्षा 5 के आधे से अधिक बच्चे कक्षा 2 के स्तर के पाठ को नहीं पढ़ पाते। वंचित समुदायों में हमारे लक्षित हस्तक्षेपों के साथ, हम बच्चों को न केवल पहुंच प्रदान करने, बल्कि समझ के साथ सीखने में सक्षम बनाने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं। केवल हमारे प्रभाव का पैमाना ही मायने नहीं रखता, बल्कि यह भी मायने रखता है कि कार्यक्रम किसी व्यक्ति पर किस प्रकार का बदलाव लाता हैं।इसलिए, हमने “20 टेल्स ऑफ ट्रायम्फ” को संकलित किया है – जो पिछले 20 वर्षों में पीएंडजी शिक्षा द्वारा बदले गए 20 प्रेरणादायक जीवनों की कहानीया है।”उन्होंने आगे कहा, “आंकड़े बताते हैं कि केवल 28* प्रतिशत वयस्क ही लर्निंग गैप्स के बारे में जानते हैं। हम जानते हैं कि पहचान पहला कदम है, इसलिए हम बड़े पैमाने पर जागरूकता पैदा कर रहे हैं कि लर्निंग गैप्स क्या होते हैं और यह कैसे विभिन्न तरीको से बच्चों में सामने आते हैं।बिकास की प्रेरक कहानी के माध्यम से हम देखते हैं कि कैसे किसी बच्चे को पीछे छूटने की वजह से लेबल्स दिए जाते है| जितना ज़्यादा वह सुनता है, उतना ही वह मानने लगता है — जब तक कोई सहारा देने वाला नहीं आता, जो उसे प्रोत्साहित करता है, सीखने के लिए सुरक्षित माहौल देता है और उसकी मदद करने वाले सहायक लेकर नहीं आता।यही पीएंडजी शिक्षा अपने साझेदारों के साथ मिलकर काम कर रहा है। इस साल का अभियान परिवारों और समुदायों से लर्निंग गैप्स को जल्दी पहचानने और उन्हें दूर करने की अपील करता है, ताकि हर बच्चे को सफलता का उचित अवसर मिले।”इस अवसर पर अभिनेत्री और लेखिका सोहा अली खान ने कहा, “मैं कई वर्षों से पीएंडजी शिक्षा से जुड़ी रही हूं और यह देखकर बेहद गर्व होता है कि पिछले 20 वर्षों में इसने एजुकेशन पर इतना गहरा प्रभाव किया है।पीएंडजी शिक्षा शुरू से ही जटिल लेकिन महत्वपूर्ण मुद्दों जैसे लर्निंग गैप्स पर काम कर रहा है। 50 लाख बच्चों पर प्रभाव डालना कोई छोटी बात नहीं है और मैं इस यात्रा का हिस्सा बनकर गौरवान्वित महसूस करती हूं जहाँ पीएंडजी ने शिक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता बनाए रखी है। एक अभिभावक के रूप में, मैंने यह समझा है कि घर में सही माहौल बनाना कितना ज़रूरी है — ऐसा माहौल जो आत्म-विश्वास, जिज्ञासा और सीखने के प्रति लगाव को बढ़ावा दे। सही सहारे के साथ, हम सच में #EraseTheLearningGap कर सकते हैं। इस वर्ष का संदेश विशेष रूप से महत्वपूर्ण लगता है, क्योंकि यह याद दिलाता है कि किसी बच्चे की खुद की छवि कितनी गहराई से उसके परिवार से मिलने वाले समर्थन से जुड़ी होती है। हर बच्चे को ऐसे माहौल में बढ़ने का अधिकार है जहाँ वह सक्षमता और भरोसा महसूस करे — और इसकी शुरुआत हमसे, माता-पिता से होती है।”अभिनेत्री कल्कि कोचलिन ने कहा, “सालों में मैंने देखा है कि पीएंडजी शिक्षा ने कैसे स्कूलों के निर्माण और शिक्षण माहौल को बेहतर बनाने से आगे बढ़कर अब एक अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दे — लर्निंग गैप्स की विभिन्न अभिव्यक्तियों — पर ध्यान केंद्रित किया है, जिसमें सबसे नुकसानदायक हैं हानिकारक लेबल्स। ये लेबल्स — ‘कमज़ोर’, ‘धीमा’, ‘अयोग्य’ — बच्चों के आत्म-विश्वास को धीरे-धीरे खत्म कर देते हैं। मैं पीएंडजी शिक्षा की इस चुनौती को सीधे संबोधित करने की प्रतिबद्धता से प्रेरित हूं और इस यात्रा का हिस्सा बनकर गर्व महसूस कर रही हूं। इस पहल ने मुझे लर्निंग गैप्स को और बेहतर समझने में मदद की है, जिससे मैं अपने बच्चे की शिक्षा यात्रा में और अधिक प्रभावी सहयोगी बन सकूं।अब समय आ गया है कि हम धारणाओं की जगह सहानुभूति रखें और ऐसे पोषणकारी माहौल बनाएं जहाँ हर बच्चा सुना, समझा और समर्थित महसूस करे। मैं पीएंडजी शिक्षा को शिक्षा के प्रति समर्पित 20 वर्षों की शानदार यात्रा के लिए बधाई देना चाहती हूं, जिससे देशभर में 50 लाख से अधिक बच्चों पर सकारात्मक प्रभाव पड रहा है।नैदानिक मनोवैज्ञानिक व मनोचिकित्सक डॉ. वरखा चुलानी ने कहा, “एक मनोवैज्ञानिक के रूप में मैं देखती हूं कि बच्चे अक्सर इसलिए संघर्ष नहीं करते क्योंकि वे अक्षम हैं, बल्कि इसलिए क्योंकि उन्होंने वे सीमितकारी लेबल्स आत्मसात कर लिए हैं जो आत्म-संदेह और भय पैदा करते हैं। फिल्म इसे बहुत सुंदर तरीके से दर्शाती है — एक बच्चा खुद को ‘कच्चा नींबू’ मान लेता है, जो भावना सिर्फ कक्षा तक सीमित नहीं रहती, बल्कि खेल के मैदान तक जाती है। फिर भी यह अद्भुत है कि सही हस्तक्षेप से एक बच्चे के आत्मविश्वास में कितना बड़ा बदलाव आ सकता है।समर्थन का एक सरल इशारा - एक शिक्षक का आश्वासन या एक सहपाठी का प्रोत्साहन - आत्म-संदेह को आत्म-विश्वास में बदल सकता है। यह फिल्म इस बात की याद दिलाती है कि छोटे-छोटे पल या तो असुरक्षा को मजबूत करते हैं या क्षमता को पोषित करते हैं। यह अभिभावकों और शिक्षकों के लिए एक चेतावनी है: लर्निंग गैप्स अक्सर छिपे रहते हैं, लेकिन यदि उन्हें जल्दी पहचाना जाए और सही समर्थन दिया जाए, तो कोई बच्चा पीछे नहीं छूटता। यह जानकर खुशी हुई कि पीएंडजी शिक्षा स्कूलों और समुदायों के साथ मिलकर ऐसे सुरक्षित और उत्साहजनक सीखने के माहौल बनाने में कितनी गंभीरता से काम कर रहा है। हमने जो शिक्षा से प्रभावित लोगो की कहानियाँ सुनीं, वे इस बात का प्रमाण हैं कि पीएंडजी शिक्षा कितना परिवर्तन ला रही है।”नवाचार और सकारात्मक परिवर्तन की इस निरंतर प्रतिबद्धता की झलक पीएंडजी इंडिया के सीएसआर कार्यक्रम में भी देखने को मिलती है। आज, पीएंडजी शिक्षा ने अपने प्रयासों को इस दिशा में केंद्रित किया है कि हर बच्चा अवधारणात्मक समझ के साथ सीख सके और अपने सपनों को साकार कर सके। शिक्षा पर एकनिष्ठ रूप से केंद्रित रहकर 'शिक्षा' कार्यक्रम ने गहरा और स्थायी प्रभाव उत्पन्न किया है।पिछले 20 वर्षों में, पीएंडजी शिक्षा ने देशभर में हजारों स्कूलों और समुदायों का समर्थन किया है, जिससे वंचित क्षेत्रों के 50 लाख से अधिक बच्चों पर लक्षित शैक्षिक हस्तक्षेपों के माध्यम से सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इस प्रयास के अंतर्गत, बच्चों के सीखने के परिणामों में सुधार के लिए पीएंडजी शिक्षा रोकथाम और सुधार दोनों पर ध्यान केंद्रित करता है। सुधार के लिए, यह 'एजुकेशनल इनिशिएटिव्स' के साथ साझेदारी में 'माइंडस्पार्क' नामक एक कंप्यूटर-आधारित एआई समर्थित अनुकूली लर्निंग टूल का उपयोग करता है। कार्यक्रम 'प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन' के साथ साझेदारी में जमीनी स्तर पर सुधारात्मक शिक्षण हस्तक्षेपों को भी लागू करता है, जो प्रशिक्षित स्वयंसेवकों और शिक्षकों द्वारा समर्थित सामुदायिक-आधारित और स्कूल-आधारित मॉडल के माध्यम से संचालित होते हैं। रोकथाम के लिए, पीएंडजी शिक्षा 'प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन' के माध्यम से प्रारंभिक बाल शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करता है, जिसमें बच्चों में मोटर, संज्ञानात्मक, सामाजिक-भावनात्मक, भाषा और रचनात्मक कौशल विकसित किए जाते हैं ताकि शिक्षा में अंतराल की रोकथाम हो सके और स्कूल में प्रवेश करते समय उनके लिए एक मजबूत नींव तैयार हो। पीएंडजी शिक्षा, 'राउंड टेबल इंडिया' के साथ मिलकर, सीखने के लिए अनुकूल वातावरण को और बेहतर बनाने की दिशा में निरंतर कार्य कर रहा है।
 

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