संभल में जामा मस्जिद या हरिहर मंदिर? 1966 के गजेटियर में हुआ बड़ा खुलासा

ग्रेटर नोएडा ( जीएन न्यूज़, संवाददाता ) ।

संभल की जामा मस्जिद का विवाद: हरि मंदिर होने के दावे और ऐतिहासिक दस्तावेजों का जिक्र

संभल की जामा मस्जिद इन दिनों चर्चा का केंद्र बनी हुई है। इस मुद्दे पर राजनीतिक हलचल भी तेज हो गई है। हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब जामा मस्जिद को हरि मंदिर बताने का दावा किया गया हो। पहले भी मस्जिद में मंदिर के निशान होने की बातें सामने आती रही हैं।

1966 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रकाशित मुरादाबाद जिला गजेटियर में इस मस्जिद के परिसर की तस्वीर को “हरि मंदिर” के रूप में उल्लेखित किया गया था। गजेटियर में इसे संभल के किले पर स्थित हरि मंदिर बताया गया है, जिसे अब जामा मस्जिद का रूप दे दिया गया है।

संभल का प्राचीन इतिहास

गजेटियर के अनुसार, संभल का पुराना नाम “संभलापुर” था। यह शहर बिखरे हुए टीलों पर बसा हुआ था। गजेटियर में उल्लेख है कि इस्लामिक शासन से पहले यहां एक किला था, जिसे “कोट” कहा जाता था। किले के भीतर भगवान विष्णु का हरि मंदिर स्थित था, जिसे बाद में मस्जिद में तब्दील कर दिया गया।

मंदिर के अवशेषों का दावा

गजेटियर में यह भी दावा किया गया है कि मस्जिद का पूरा ढांचा मंदिर के वास्तुशिल्प की झलक देता है। इसके बावजूद इसे “बाबर की मस्जिद” कहा जाता है। मस्जिद के भीतर एक बड़ा जलाशय, फव्वारा और परिसर के बाहर एक प्राचीन कुआं भी मौजूद है।

घंटे की जंजीर और मंदिर के संकेत

मस्जिद में मंदिर के अवशेषों के दावे को 1873 की “Asiatic Society of Bengal” की रिपोर्ट ने भी बल दिया है। इस रिपोर्ट में कहा गया कि मस्जिद मंदिर को तोड़कर बनाई गई है। साथ ही, मस्जिद में अभी भी घंटे की जंजीर टंगी हुई है और वहां भक्तों के लिए परिक्रमा करने का रास्ता भी मौजूद है।

यह ऐतिहासिक दावे और दस्तावेज इस विवाद को और गहराई दे रहे हैं। अब यह देखना बाकी है कि आगे इस मामले में क्या निष्कर्ष निकलता है। प्रशासन और स्थानीय लोग दोनों ही शांति बनाए रखने की अपील कर रहे हैं।

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