दिल्ली विधानसभा चुनाव में बसपा के सामने चुनौती: वोट बैंक में गिरावट जारी
दिल्ली में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का वोट बैंक 2013 से लगातार गिरता जा रहा है। पार्टी के लिए अब खोए हुए जनाधार को वापस पाना एक बड़ी चुनौती होगी। 1993 से लेकर 2008 तक पार्टी का वोट बैंक लगातार बढ़ा था, लेकिन इसके बाद ग्राफ नीचे गिरा। 2020 तक बसपा ने दो बार सभी सीटों पर अपने प्रत्याशियों को उतारा था।
इस बार विधानसभा चुनाव में भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा, लेकिन बसपा भी चुनावी मैदान में है। पार्टी ने दिल्ली की 69 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है। वहीं, समाजवादी पार्टी (सपा) ने इस बार कोई प्रत्याशी नहीं उतारा है।
बसपा का 2008 का प्रदर्शन दिल्ली में अब तक का सबसे अच्छा रहा था, जब पार्टी ने 70 सीटों में से 8,67,672 वोट हासिल किए थे। हालांकि, 2015 में पार्टी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा, जब उसे केवल 1,17,093 वोट ही मिले और अधिकांश उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी।
बसपा ने 1993 से लेकर 2008 तक लगातार अपनी पकड़ मजबूत की थी, लेकिन पिछले दो चुनावों में वोट प्रतिशत गिरता गया। 2020 में पार्टी को केवल 66,141 वोट मिले। वहीं, सपा, जो पहले दिल्ली में दो दर्जन से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ती थी, इस बार पूरी तरह से चुनावी रण से बाहर है।
बसपा और सपा का दिल्ली चुनाव में इतिहास:
साल | बसपा लड़ी | वोट | सपा लड़ी | कुल वोट |
---|---|---|---|---|
1993 | 55 | 66,796 | 26 | 17,717 |
1998 | 58 | 1,26,197 | 24 | 19,418 |
2003 | 40 | 2,59,905 | 39 | 29,224 |
2008 | 70 | 8,67,672 | 36 | 30,073 |
2013 | 69 | 4,20,926 | 25 | 17,042 |
2015 | 70 | 1,17,093 | - | - |
2020 | 68 | 66,141 | - | - |
(सभी आंकड़े चुनाव आयोग के अनुसार)